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गीत(16/14) जो भी कूदा...... जो भी कूदा सिंधु-उर्मि में, मोती उसने पाया है। जो था खड़ा किनारे केवल, धोखा उसने खाया है।। पंख संग उत्साह समेटे, उड़ता खग नभ कोने तक। ...