गीत(वृष्टि-अनावृष्टि)

59 Part

436 times read

11 Liked

गीत(वृष्टि-अनावृष्टि). कहीं वृष्टि आधिक्य अवनि पर, अनावृष्टि है कहीं-कहीं। सुख-सागर है कहीं उमड़ता, दुख-सरिता भी बहे कहीं।। पर्वत हिम से ढके हुए हैं, मरु-थल पूरे रेतीले। हरियाली राजित समतल पर, रहें ...

Chapter

×