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*वृक्ष* दोहे(पादप) पादप की महिमा अकथ,यह धरती का प्राण। औषधि एक अमोघ यह,करता जन-कल्याण।। पत्र-पुष्प-फल-स्रोत तरु,करे शुद्ध जलवायु। इसकी रक्षा से बढ़े, जीव-जंतु की आयु।। हरियाली ही ...