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*दोहे* कवि से ही कविता बनी,कविता ज्ञान-प्रकाश। ज्ञान-ज्योति से हो सदा, तम-अज्ञान-विनाश।। उगे सूर्य पश्चिम दिशा, कभी न संभव मीत। वचन न संत असत्य हो,उगले अग्नि न शीत।। अपनी संस्कृति विश्व ...