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*गीत*(16/14) कच्ची माटी से बचपन को, गढ़-गढ़ कुंभ बनाना है। जीवन रूपी सुदृढ़ कलश से, पावन नीर पिलाना है।। बने कलश वह इतना पक्का, ठोकर-घात सके वह सह। धूल भरे अंधड़ ...