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गीत गीत(16/14) तुम ही कविता तुम्हीं कल्पना, तुम्हीं भावना हो मेरी। मेरे अंदर का कवि बोले, करे साधना वह तेरी।। सुर-लय, ताल-छंद सब मेरे, तुम्हीं बिंब-संकेत बनी। तुम्हीं लेखनी को गति ...