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* गीत(16/14) मन की भाषा जो पढ़ लेता, वह प्रेमी कहलाता है। पढ़कर शीघ्र विकलता मन की, प्रेमी मन बहलाता है।। आसमान से ऊँचे अरमाँ, वायु-वेग से फुर्तीला। महि सम रहकर ...