59 Part
264 times read
7 Liked
गीत(16/16) छवि अंकित नयनों में मेरे, उर में रूपसि वास तुम्हारा। जब भी चित्त विकल यह होता, बनती तब अनुभूति सहारा।। भौंह मोहिनी,काली अलकें, चक्षु चंचला हिरणी जैसे। अधर गुलाबी रस ...