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*पंखुड़ी* पंखुड़ी देख कर पंखुड़ी तरु-शिखा पर, मन में क़ुदरत के प्रति प्रेम जागा। भ्रम मेरे मन में जो पल रहा था- तज के संशय तुरत मन से भागा।। ...