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गीत(16/14) शरद पूर्णिमा बहुत सुहानी, मन में प्रीति जगा देती। शीतलताई भी तो उसकी, विरह-अगन सुलगा देती।। विमल चाँदनी नभ की शोभा, विरही मन लख तड़प उठे। ऐसी अनुपम शोभा लखकर, ...