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गीत(16/16) शिथिल देह बोझिल सी आँखें, अपलक शून्य निहार रहीं हैं। कहाँ गए घनश्याम हमारे? लेकर नाम पुकार रहीं हैं।। सतत नेत्र से बहते आँसू, बहके-बहके पथ कदम चलें। जिन वृक्षों ...