प्रकृति-प्रेम

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*प्रकृति-प्रेम* न फूलों का चमन उजड़े,शज़र उजड़े,न वन उजड़े। न उजड़े आशियाँ पशु-पंछियों  का- हमें महफ़ूज़ रखना है ,जो बहता जल है नदियों का।।           रहें महफ़ूज़ ...

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