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गाँव चलो चलें गाँवों की ओर, बहे पवन शीतल-निर्मल। प्रकृति-छटा बिखरी हर छोर, नदी बहे कल-कल,छल-छल।। खेतों की हरियाली देख, कटे कष्ट सारे तन के। पढ़कर प्राकृत अनुपम लेख, मिटें शूल ...