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गीत *गीत*(छप्पन भोग16/14) छप्पन भोग चढ़े मंदिर में, द्वार रुदन शिशु करता है। किसको फ़िक्र पड़ी है उसकी- मृतक जगत यह लगता है।। जहाँ देखिए कहर-कहर ही, नहीं अमन ...