सोच

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गीत(घिनौनी सोच)           देख घिनौनी सोच नीति की, आर लिखूँ या पार लिखूँ। रंग बदलती इस दुनिया में- कैसे जीवन-सार लिखूँ।। लूट-पाट का दौर हुआ यह, हुआ ...

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