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*गीत*(राधेश्यामी छंद) *गीत*(16/16राधेश्यामी छंद) कब से तरस रहीं थीं आँखें, उड़ न रहीं थीं मन-खग पाँखें। नव प्रकाश ले अब तो आईं, कटीं जो रातें तनहाई में। प्रीतम ...