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*भाग्य और कर्म* भाग्य को है बनाता वही आदमी, आत्म-विश्वास जिसमें है रहता जगा। कंटकाकीर्ण राहों पर वो तो चले- आत्म-विश्वास कष्टों को देता भगा।। लाख बादल घिरे हों गगन में ...