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गीत(तुम्हीं सुरभि) तुम्हीं सुरभि मेरे जीवन की, बगिया को महकाते हो। जब-जब संकट पड़ता मुझपे, माली बनकर आते हो।। चाहे रहे वसंत- शीत ऋतु, चाहे गर्मी-बरसातें। हर मौसम में तुम ही ...