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गीत(भय का साया) जग से अत्याचार मिटाने, रघुवर कब तक आओगे? अघ से बोझिल कब धरती को, पाप-मुक्त करवाओगे।। अखिल विश्व के नभ पे बादल, भय के छाए लगते हैं। छिड़ा ...