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पर्यावरण-सुरक्षा गाँव की गलियाँ सूनी लगतीं, सूने बाग़-बगीचे। जलाभाव में सूखे पड़ गये, खेत सभी बिन सींचे। चलो,जलाशय-नदी बचाएँ-प्रकृति-प्रेम की अलख जगाएँ।। भीषण ताप प्रचंड सूर्य का, धरती को ललकारे। कहे ...