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नीति-वचन*-5 सीतल-मंद-सुगंध समीरा। संत-प्रकृति जस निर्मल नीरा।। बचनइ संत प्रेम-रस पागी। मिलै न अवसर श्रवन अभागी।। इक-इक बचन संत अनमोला। धन अरु संपति सकैं न तौला।। ...