नीति-वचन-10

19 Part

28 times read

2 Liked

*नीति-वचन*-10 मूरख-हृदय चेत नहिं ग्याना। पाथर-मूल न उपजै दाना।।     बढ़ै-मोटाय कबहुँ नहिं ब्याला।      देहु ताहि केतनउ पय-प्याला।। सठ नहिं सांत पाइ उपदेसा। बहिर सुनै नहिं हितइ सनेसा।। ...

×