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*नीति-वचन*-10 मूरख-हृदय चेत नहिं ग्याना। पाथर-मूल न उपजै दाना।। बढ़ै-मोटाय कबहुँ नहिं ब्याला। देहु ताहि केतनउ पय-प्याला।। सठ नहिं सांत पाइ उपदेसा। बहिर सुनै नहिं हितइ सनेसा।। ...