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*नीति-वचन*-13 मधुर बोल अरु मधु मुस्काना। सदा न सज्जन रह पहिचाना।। तिलक-छाप अरु चंदन माथे। गर रुद्राच्छ कमंडल हाथे ।। एकमात्र नहिं संत-निसानी। कबहुँ-कबहुँ अस दुरगुन-खानी।। जहँ ...