नीति-वचन-17

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नीति-वचन(चौपाइयाँ)-17 मधुर बोल अरु मधु मुस्काना। सदा न सज्जन रह पहिचाना।। तिलक-छाप अरु चंदन माथे। गर रुद्राच्छ कमंडल हाथे।। एकमात्र नहिं संत-निसानी। कबहुँ-कबहुँ अस दुर्गुन-खानी।। जहँ रह काँट पुष्प तहँ बिगसै। ...

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