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*नीति-वचन*-22 अहहिं नरायन ग्यान-भँडारा। "नार"ग्यान अरु"अयन"अगारा।। नारायन पय-सिंधु निवासा।। जहँ नहिं राग-द्वेष कै बासा।। मेटवै ग्यान राग अरु द्वेषा। उर्जानंत ग्यान अहि-सेषा।। चलै न बिधि-गति पे कछु ...