-कालिदास

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मालविकाग्निमित्रम्-5     चतुर्थ अङ्क मालविका के प्रेम में आसक्त और उसी के विषय में चिंतातुर राजा अन्ततः अपने हृदय की मनोव्यथा विदुषक से कहते हैं और मालविका विषयक कारावास का समाचार ...

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