-कालिदास

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विक्रमोर्वशीयम्-8     फिर सहसा उन्हें दक्खिन की ओर बिछुओं की सी झनझन सुनाई देती। लेकिन पता लगता वह तो राजहंसों की कूक है जो बादलों की अंधियारी देखकर मानससरोवर जाने को ...

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