-कालिदास

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कुमारसंभवम्-5     चतुर्थ सर्ग इस सर्ग में कामपत्नी रति का करुण विलाप है। रति कामदेव के सहवास काल की स्मृतियों का स्मरण करके विलाप करती है। वह कामदेव के बिना अपने ...

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