निरुपमा–1

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एक लखनऊ में शिद्दत की गरमी पड़ रही है।  किरणों की लपलपाती दुबली-पतली असंख्यों नागिनें तरु लता-गुल्मों की पृथ्वी से लिपटी हुई कण-कण को डस रही हैं।  उन्हीं के विष की ...

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