निरुपमा–40

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"मिलने के लिए!" स्नेह के स्वर से कहकर मुस्कुराकर वृद्ध ने फरशी की नली सँभाली। "जी नहीं।" साग्रह देखते हुए। "तो! गर्मी की छुट्टियों में यहीं क्यों न रहो? खस की ...

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